मानव या बन्दर

आम धारणा के विपरीत वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि आदमी का काटना बंदरों से ज्यादा खतरनाक होता है। चिंपाजी, गुरिल्ला और वनमानुष की तुलना में मानव के कपाल तंत्र में काटने की क्षमता ज्यादा प्रभावशाली होती है।




अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए अध्ययन में आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए। इनके अनुसार प्रारंभिक आधुनिक मानव को उच्च पोषक तत्वों वाले बादाम जैसे कड़े सूखे मेवों और शायद मांस जैसे कम सख्त खाघ पदार्थों को खाने के लिए औजारों या इन्हें पकाने की आवश्यक रूप से जरूरत महसूस नहीं हुई,लेकिन हो सकता है कि बाद में वे बहुत कठिन चीजों को खाने की अपनी क्षमता खो बैठे हों।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि आधुनिक मानव का कम शक्तिशाली जबड़ा मांसपेशियों का इस्तेमाल कर काटने की ज्यादा असरदार क्षमता प्राप्त कर सकता है। यह अध्ययन न्यू साउथवेल्स यूनिवर्सिटी के स्टीफन व्रो के नेतृत्व में हुआ।

इन परिणामों से पूर्व के अध्ययनों पर सवाल खड़े हो गए हैं जिनमें कहा गया था कि आधुनिक मानव में कम शक्तिशाली कपाल तंत्र के विकास के चलते उसके काटने की क्षमता कमजोर हो गई या यह व्यावहारिक परिवर्तनों का आवश्यक उत्तर था। इसमें यह भी कहा गया है कि बड़े मस्तिष्क का मार्ग प्रशस्त करने के लिए मानव की जबड़ा मांसपेशियां घट गईं।