ॐ भूर्भुवस्वः ।
तत सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात ॥
तत सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात ॥
जो मन के तंत्र पर अधिकार रखता है, वही मंत्र है। मन का तंत्र यानि कि मन का सिस्टम। मंत्र एक एसा रिमोट कंट्रोल है जो मन और उसकी अप्रत्याशित शक्तियों को नियंत्रित ही नहीं बल्कि अपनी सुविधानुसार संचालित भी कर सकता है। ध्वनि विज्ञान ही मंत्र का आधार है। ध्वनि की अद्भुत शक्ति के साथ, साधक का मनोबल और एकाग्रता की शक्ति मिलकर एक ऐसी अजेय शक्ति बन जाती है, जिसके लिये कुछ भी असंभव नहीं रहता। इस अजेय शक्ति को साधक जब किसी निर्धारित लक्ष्य पर प्रेषित करता है तो विधि का गुप्त विधान इसके अनुकूल हो जाता है।
एक नई दुनियां
मंत्र विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया भर में आज तक जितने भी मंत्र खोजे या बनाए गए हैं, उनमें गायत्री मंत्र को सर्वोच्च शक्तिशाली व सर्व समर्थ मंत्र होने का दर्जा प्राप्त है। ब्रह्मऋषि विश्वामित्र ने एक सवर्था नवीन सृष्टि रचने का जो अभिनव चमत्कार किया था, वह इस गायत्री मंत्र से प्राप्त शक्ति के आधार पर ही किया था। यह तो एक उदाहरण मात्र है, ऐसे अनेकानेक चमत्कार गायत्री मंत्र के बल पर हो चुके हैं। वेद, उपनिषद्, पुराण आदि तमाम ग्रंथ गायत्री मंत्र के अद्भुत व आश्चर्यजनक चमत्कारों से भरे पड़े हैं। आज भी यदि कोई पूरे विधि-विधान से गायत्री मंत्र की साधना करे, तो भौतिक या आध्यात्मिक लक्ष्य कोई भी हो हर हाल में उसे प्राप्त किया जा सकता है।