हाल ही में नींद, मेटाबॉलिज्म, स्ट्रेस और क्रोनोबॉयोलॉजी पर किए शोध से यह सामने आया है कि हर काम का एक नियत समय होता है। यदि वह उसी समय पर कर दिया जाए, तो उसके परिणाम भी सकारात्मक होते हैं। नीचे बताई जा रही दैनिक गतिविधियों को यदि आप समय पर करते हैं, तो आप पूरे दिन एलर्ट और एनर्जेटिक रह सकते हैं।
उठने का समय
सुबह उठने में आलस करने की बजाए रोजाना एक ही समय पर उठें और जल्दी स्नान कर लें। इससे शरीर का सरकैडियन रिदम (24 घंटे में होने वाले बायोकेमिकल, साइकोलॉजिकल और बिहेवियरल प्रोसेस) इंप्रूव होता है, जिसे दिमाग की हाइपोथैलेमस ग्रंथि कंट्रोल करती है। इसे शरीर की मास्टर क्लॉक भी कहा जाता है।
कॉफी का समय
सुबह की शुरुआत कॉफी से नहीं करें। विशेषज्ञों के अनुसार कॉफी का सेवन तभी करें, जब वाकई में आपको उसकी जरूरत हो। विशेषज्ञों के अनुसार कैफीन शरीर में एडेनॉसिन को बाधित करने का काम करता है। एडेनॉसिन नींद के लिए जिम्मेदार एक प्रकार का केमिकल है। एडेनॉसिन का स्तर बढ़ते ही नींद आने लगती है। रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के स्लिप डिसऑर्डर सर्विस एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक जैम्स के. वैट का कहना है कि दिन के समय जब आलस या नींद महसूस होती है, उस समय कॉफी पीने से एनर्जी लेवल बढ़ जाता है।
खाने का समय
लंबे समय तक भूखे रहने की बजाए रोजाना एक ही समय में भोजन करें। शरीर में कैलोरी की रोज की जरूरत पूरी करने के लिए यह जरूरी है। वहीं, सुबह उठने से लेकर रात में सोने का समय गड़बड़ होता है, तो दिन की लेट शुरुआत से एनर्जी लेवल भी डाउन हो जाता है। लैमेन का कहना है कि भोजन प्रणाली गड़बड़ होने के कारण भूख भी ज्यादा लगती है, जिसके चलते पीड़ित कभी-कभी भूख से अधिक भोजन करने के लिए प्रेरित होता है।
वहीं लैमेन यह भी कहते हैं कि ब्रेकफास्ट और लंच के लिए सबसे आर्दश समय क्रमश: सुबह 7 बजे और दिन के 12 बजे होता है। इसके अलावा ऑफिस जाते समय यदि लंच करने का समय नहीं मिलता है तो खाना पैक करके ले जाना चाहिए ताकि दिन का खाना मिस न हो। विशेषज्ञों के अनुसार खाने में काबरेहाइड्रेट की बजाय प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। प्रोटीन शरीर के लिए ईंधन के रूप में काम करता है, जबकि काबरेहाइड्रेट की भोजन में अधिक मात्रा एनर्जी लेवल डाउन भी कर सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ इलीनॉइस में न्यूट्रिशन के प्रोफेसर डोनाल्ड के. लैमेन द्वारा किए एक शोध में सामने आया है कि जो महिलाएं अपने भोजन में काबरेहाइड्रेट की मात्रा सीमित और प्रोटीन की मात्रा अधिक रखती हैं, वे पूरे दिन अधिक एनर्जेटिक रहती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना लिए जाने वाले काबरेहाइड्रेट की मात्रा 150 ग्राम (सब्जियों की पांच सर्विग, फलों की दो सर्विग और स्टार्ची फूड यानी सभी प्रकार के अनाज की तीन या चार सर्विग जितनी मात्रा) से अधिक नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए
ब्रेकफास्ट में ब्रेड की एक स्लाइस, एक अंडा, एक स्लाइज चीज और एक गिलास दूध लें। लंच में एक स्लाइस ब्रेड का सैंडविच, एक औंस चीज, एक सेव, सब्जी की दो सर्विग लें। वहीं आप नॉनवेजिटेरियन है तो दो-तीन औंस मीट ले सकते हैं। डिनर में सब्जी की तीन सर्विग, फल की एक सर्विंग, एक या दो सर्विग अनाज की और 6 औंस मीट ले सकते हैं।
सोने का समय
रात में सोने से पहले फेसबुक पर दोस्तों की अपडेट या मैसेज चैक करने की बजाय किताबें पढ़ना या टीवी देखना ज्यादा सही होता है। एक शोध के अनुसार तेज रोशनी सुबह की रोशनी के समान ही होती है, जो दिमाग की एक्टिविटी बढ़ाने में सहायक होती है। यह तरीका अलर्टनेस बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है। टीवी देखते समय उससे करीब 15 फीट की दूरी पर बैठना चाहिए, ताकि टीवी सेट की रोशनी के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सके।
वहीं, कई वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि कम्प्यूटर के मॉनीटर की तेज रोशनी के संपर्क में आने से शरीर के सोने-जागने का नैचुरल साइकिल भी प्रभावित होता है। ऐसे में कोई किताब या मैग्जीन पढ़ना सबसे अच्छा विकल्प है। रात में सोने के एक घंटे पहले कम्प्यूटर को लॉग ऑफ कर देना चाहिए। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि दिन में नींद आने पर झपकी नहीं लेनी चाहिए। यदि आपको नींद आती है तो कुछ देर के लिए बाहर घूम आएं। दिन में सोने से एनर्जी लेवल डाउन होता है, साथ ही होमियोस्टेटिक और सरकैडियन सिस्टम के इंटरेक्ट होने का समय भी यही होता है।
स्ट्रेस से मुक्ति
मेडिटेशन करने के लिए लगातार आधे घंटे का समय नहीं मिलता है तो दिन में दो-तीन बार मेडिटेशन करें। ‘पॉजिटिव एनर्जी’ के लेखक और यूसीएलए के मनोवैज्ञानिक जुडिथ ओरलोफ का कहना है कि मेडिटेशन करने से स्ट्रेस हार्मोन कम होता है, जो मांसपेशियों में अकड़न और रक्त वाहिकाओं को संकरा होने से बचाते हैं। मेडिटेशन से एंडारफिन नामक हार्मोन सक्रिय हो जाता है। व्यस्त शेडच्यूल में भी फिट रहने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार मेडिटेशन हमेशा शांत जगह पर ही करना चाहिए, ताकि ध्यान लगाया जा सके। शांत जगह पर बैठकर दोनों आंखें बंद करके अपनी सांसों को सुनने की कोशिश करें और कल्पना कीजिए कि आप बादलों के बीच घूम रहे हैं या ऐसे व्यक्ति को याद करें जिसे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। इससे ध्यान जल्दी लगता है। वहीं, वर्कआउट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि रुटीन वर्कआउट करने से पहले स्नेक्स लेने की बजाए म्यूजिक सुनना अच्छा होता है। एनर्जी बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी है, लेकिन म्यूजिक सुनने से आपको दिमाग की उथल-पुथल शांत करने में मदद मिलेगी। ऐसे में वर्कआउट अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।