द ट्रूथ अबाउट बैक पेन

अमेरिका में हुए शोध से सामने आया कि हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले 56 फीसदी लोग बैक पेन (पीठ दर्द की शिकायत) से पीड़ित होते हैं। द ट्रूथ अबाउट बैक पेन के सहलेखक और वैज्ञानिक टॉड सिनेट का कहना है कि बैक पेन के लिए वास्तव में कुछ गलत आदतें जिम्मेदार होती है । इसलिए दैनिक गतिविधियों के प्रति अधिक सतर्क रहने और उसे सुधारने की जरूरत होती है।


सीट पर बैठे रहना
यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि खड़े होने की तुलना में लगातार बैठे रहने से स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी पर अधिक भार पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह तरीका तुलनात्मक रूप से 40 फीसदी तक अधिक दबाव डालता है। इस कारण लंबे समय की सीटिंग जॉब्स करने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे बीच-बीच में उठकर टहल लें। कई घंटे तक एक ही जगह बैठकर काम करने से पीठ की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। उन मांसपेशियों में लंबे समय तक कोई गतिविधि नहीं होती है इससे उनके लचीलेपन पर विपरीत असर पड़ने लगता है। 



क्या करें : ऑफिस में काम के बीच में थोड़ा ब्रेक जरूरी है। फोन पर बातचीत करते समय या अपने सहकर्मी से बात करते समय बीच-बीच में 135 डिग्री का कोण बनाकर बैठें। इससे रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है, इसीलिए कुर्सी में थोड़ा-सा लेटने वाली मुद्रा में बैठें। मगर ध्यान रखें कि कुर्सी ऐसी हो, जो उस स्थिति में भी पीठ और कमर को सपोर्ट करे। इस समय सिर को सीधा रखें। वही छोटे-छोटे काम भी खुद ही करें, जैसे पानी लेना है या प्रिंटर से पेपर उठाना आदि। इससे तरह चल लेने से पीठ दर्द नहीं होगा।

कुर्सी का सही चयन
जिन लोगों की पीठ झुक जाती है या थोड़ा कूबड़ निकल जाता है वे यदि बैठने के लिए स्टीयरिंग व्हील का उपयोग करते हैं, तो मांसपेशियों में जकड़न और कंधे राउंड होने लगते हैं। ऐसी कुर्सी में आराम से बैठने की आदत हो जाती है, जिससे एनर्जी लेवल कम और वजन में बढ़ोतरी हो सकती है। साथ ही इससे पीठ व गर्दन में दर्द की शिकायत भी होती है। टेक्सास बैक इंस्टीटच्यूट में चिरोपैक्टिक डिविजन के निदेशक डैरेन डब्ल्यू मैरलो का कहना है कि कार ड्राइव करते समय भी बैठने का तरीका सही होना जरूरी है।

क्या करें : स्टीयरिंग व्हील पर बैठते समय हमेशा 90 डिग्री का एंगल बनाकर बैठें। 

रेग्युलर जिम जाएं
एक्टिव लाइफ स्टाइल मांसपेशियों व जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करती है। एक शोध से पता चलता है कि पीठ दर्द से पीड़ित होने का मुख्य कारण उनकी एक्टिविटी में 40 फीसदी कमी आना है। 

क्या करें : स्पाइन सर्जन राज रॉव का कहना है कि नियमित वर्कआउट करना चाहिए। पीठ दर्द से पीड़ित व्यक्ति यदि मॉर्निग वॉक, जॉगिंग करता है तो मांसपेशियों व जोड़ों की अकड़न दूर होती है। ऐसे में हिप्स और हैमस्ट्रिंग (घुटने के पीछे की मांसपेशियां) की स्ट्रे¨चग बहुत फायदेमंद साबित होती है। इससे पीठ की मांसपेशियों की थकान भी कम होती है।

योग करें
मांसपेशियों में खिंचाव, रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार कम करने और स्ट्रेस कम करने के लिए योग बहुत कारगर उपाय है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के शोधकर्ताओं के अनुसार लोअर-बैक पेन, आधुनिक तरीकों की तुलना में योग से जल्दी ठीक होता है। करीब 101 मरीजों पर किए गए अध्ययन के दौरान उनको तीन समूहों में विभाजित किया गया। पहले समूह को साप्ताहिक योग क्लासेस दी गई और फिर उन्हें घर पर ही अभ्यास करने के लिए कहा गया। दूसरे समूह ने साप्ताहिक एक्सरसाइज सेशन में फिजिकल थैरेपिस्ट से गाइडेंस लिया और तीसरे समूह को पीठ दर्द से निजात पाने के लिए बैक केयर बुक का सहारा लेने की सलाह दी गई। तीन महिनों के बाद पाया गया कि योग करने वाला पहला समूह बाकी दो समूहों की तुलना में इस समस्या से काफी हद तक उबरने में कामयाब था।

क्या करें : किसी अच्छे योग गुरु से संपर्क करें, क्योंकि वही आपको बता सकता है कि आपकी समस्या के मुताबिक कौन-सा आसन उपयुक्त है। साथ ही अभ्यास किए जा रहे संबंधित आसनों में त्रुटि होने की संभावना भी कम हो जाती है।
अधिक टीवी देखते हैं
रोजाना कई घंटों तक टीवी के सामने समय बिताने की आदत के चलते भी पीठ दर्द हो सकता है। वहीं इसका एक अन्य कारण यह भी है कि यह लत रेग्युलर वर्कआउट को मिस भी करवा सकती है। एक अध्ययन से पता चला है कि जो लोग टेलीविजन या कंप्यूटर के सामने एक हफ्ते में 15 से अधिक घंटे बिताते हैं, वे लोअर बैक पेन से अधिक पीड़ित होते हैं। वहीं, नार्वे की हेडमार्क यूनिर्वसिटी में फिजियोथैरेपिस्ट और शोध के प्रमुख एस्ट्रिड नॉरेंज एसजॉली का कहना है कि टीवी देखने की लत के चलते कूबड़ निकलने की समस्या भी हो सकती है।

क्या करें : लगातार टीवी पर चैनल बदलने रहने की बजाय टीवी देखने का समय निश्चित होना चाहिए। साथ ही प्रोग्राम्स के ब्रेक के दौरान स्ट्रेचिंग भी करते रहना चाहिए, ताकि मांसपेशियों में अकड़न न हो। इसके विपरीत यदि आपके बच्चे को भी पीठदर्द की शिकायत हो, तो उसे रोजाना एक किमी पैदल चलने की सलाह दें। प्रकृति अपने आप में एक बेहतर दर्द निवारक साबित होती है।

कोई नाराजगी है
मन में किसी प्रकार की नाराजगी, गुस्सा या अफसोस है, तो उसे दिमाग से बाहर निकालने से भी पीठ दर्द की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है। डच्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा करवाए अध्ययन में ऐसे 58 महिलाओं व पुरुषों को शामिल किया था, जो क्रोनिक लोअर बैक-पेन से पीड़ित थे। शोध में पाया गया कि जिन लोगों की माफ करने, कम गुस्सा करने व दूसरों के प्रति मन में द्वेष भाव नहीं होते हैं, वे पीठ दर्द से अपेक्षाकृत कम पीड़ित होते हैं। शोधकर्ता जैम्स डब्ल्यू. कैरसन का कहना है कि व्यक्ति के भावनात्मक स्तर व विचारों का मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव से सीधा लिंक होता है।

क्या करें : दूसरों को आसानी से माफ करने का भाव विकसित करें। हालांकि यह इतना आसान नहीं है, लेकिन मन में उस शख्स की कल्पना करें, जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। इससे आपको अपने गुस्से और नाराजगी पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। 

ऊंची एड़ी की चप्पल
हाई हील यानी ऊंची एड़ी की चप्पल पहनने से स्पाइनल मसल्स यानी पीठ की मांसपेशियां ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाती हैं। इसी कारण से पीठ में दर्द की शिकायत होती है। वहीं वैज्ञानिक सिनेट का कहना है कि बेकलेस शूज यानी ऐसे शूज जिसमें पैर साइड से निकलते हैं, उससे शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है।

क्या करें : फैशन में आकर अनकंफर्टेबल फुटवियर न पहनें। साथ ही हाई हील पहनकर अधिक न चलें। फ्लैट व आरामदायक चप्पल ही पहनें। इस प्रकार से 80 फीसदी तक पीठ दर्द से बचा जा सकता है।

दर्द को गंभीरता से लें
रोसालिंड फ्रैंकलिन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड साइंस के शोधकर्ताओं का कहना है कि दर्द की वास्तविक सीमा को महसूस करना जरूरी है। उनके अनुसार किसी भी प्रकार के दर्द से पीड़ित होने पर उसका असल एहसास ठंडे पानी में हाथ या पैरों को डालने पर अधिक होता है। उन्होंने कहा कि दर्द की गंभीरता समझना चाहिए और इससे उबरने की कोशिश करनी चाहिए।

क्या करें : दर्द सहन करते समय दिमागी रूप से मजबूत होना जरूरी है। शोधकर्ता जॉन का कहना है कि नकारात्मक विचारों से शारीरिक तकलीफों पर और भी बुरा असर पड़ता है, इसलिए ऐसे विचारों से बचें। दर्द के कारण को जानें और उसे दूर करें। खुद को बताएं कि दर्द क्यों हो रहा है?