अब आ गया है कृत्रिम रक्त ..............


भविष्य में खून की कमी के चलते होने वाली दर्दनाक मौतों से शायद बचा जा सकेगा। क्योंकि अब खून के लिए किसी और इंसान की बाट नही जोहनी पड़ेगी। अमरीकी वैज्ञानिकों ने युद्धभूमी पर इस्तेमाल के लिए कृत्रिम खून बनाने वाले एक अनोखे यंत्र का विकास किया है। हालांकि फिलहाल इस मशीन से बनाए जाने वाला यह कृत्रिम खून युद्ध क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सैनिकों को ही उपलब्ध हो सकेगा।  



मशीन से बनने वाली पहली कृत्रिम रक्त की खेप जल्द ही अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक इस्तेमाल कर सकेंगे।

पैंटागन की प्रायोगिक शाखा डारपा ने 2008 में ब्लड फार्मिग प्रोग्राम लांच किया था, जिसका उद्देश्य घायल सैनिकों के उपयोग के लिए कृत्रिम रक्त का विकास करना था। यह प्रोजेक्ट आरटेरियोकेट कंपनी को १.९५ मिलियन में मिला है। 

कंपनी ने ओ-नेगेटिव ब्लड की पहली खेप अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को भेज दी है। यह खून किसी भी जानवर या इंसान की नाभिनाल से हेमाटोपोएटिक सेल लेकर बनाया जा सकता है इस प्रक्रिया को फार्मिग कहा जाता है। एक नाभिनाल से लिया गए खून को २० यूनिट खून में तब्दील किया जा सकता है। 

युद्ध में एक घायल सैनिक को उपचार के लिए लगभग 6 यूनिट खून की आवश्यकता होती है। कंपनी का दावा है कि इस कृत्रिम खून में से रेड ब्लड सेल्स को अलग नहीं किया जा सकता।

कंपनी के प्रमुख डॉन ब्रॉउन का कहना है कि हमारा मॉडल काम करता है लेकिन उत्पादन क्षमता का और ज्यादा विस्तार करने की जरूरत है। यदि यह मॉडल स्वीकृत हो जाता है तो युद्धक्षेत्रों में यह कारगर सिद्ध हो सकता है जहां रक्तदाताओं की कमी के कारण घायल सैनिकों के इलाज में रूकावट पैदा होती है।

हालांकि अभी 2013 तक मनुष्य पर इसका परीक्षण नहीं किया जाएगा लेकिन कंपनी का मानना है कि यदि पैंटागन चाहे तो 5 साल के भीतर सेना के इस्तेमाल के लिए इसे तैयार किया जा सकता है।