खेल खेल में

खेल खेल में कई दफा काफी कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि जिसका परिणाम कभी सुहावना तो कभी आघात लगने वाला होता है जब यहाँ खेलो कि बात चल ही निकली है तो दो भिन्न- भिन्न खेलो से जुडी दो हैदराबादी बालाओ को कैसे भुला जा सकता है जिन्होंने अपने खेल व अपनी खेल प्रतिभा से अपने प्रदेश का ही नहीं बल्कि पुरे देश का नाम विश्व भर रोशन किया है . 

लेकिन यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि आप को अपने खेल के साथ साथ उन लोगो कि भावनाओ  का भी ध्यान रखन पड़ता है जो कि आपके प्रशंसक कहलाते है सानिया ने जहा टेनिस में वही साइना ने बैंडमिन्टन  में  अपने खेल से लाखो करोडो लोगो का दिल जीता है और इस देश को दोनों पे ही गर्व है . 




सानिया ने लेकिन जब एक ऐसा फैसला लिया जो कि उनकी अपनी निजी जिन्दगी से जुड़ा हुआ था और वो इसके लिए पूरी तरह से स्वतंत्र भी थी परन्तु फिर भी वो जिस मुकाम पे कड़ी थी वहा थोडा बहुत हक उस देश का व उनके चाहने वालो का भी बनता है कि उनकी भी भावना का ख्याल रखा जाता. लेकिन इसके वावजूद भी हम दुवा करते है कि उनकी आगे कि जिन्दगी पूरी तरह से खुशहाल गुजरे. 

विगत कुछ दिनों में साइना ने अपने अविश्मर्निय खेल से खेल के मैदान में जीत के जो झंडे गाड़े है उनकी वजह से आज वो देश कि पसंदीदा खिलाडी बन गयी है अब केवल उनसे एक यही प्रार्थना है कि वो अपने खेल कि तरह ही अपने आदर्शो से भी प्रसंसको के दिल में अपनी जगह बनाये जैसा कि क्रिकेट में आज सचिन का मुकाम है