ताकि आकाश में उड़ना न हो खतरों का सबब

मंगलौर में शनिवार सुबह हुई हवाई दुर्घटना ने निश्चित ही हवाई यात्रा करने वालों समेत अन्य लोगों को भी दहला दिया। एयर इंडिया के इतिहास में भी यह बड़ा हादसा है। इसमें करीब 160 लोगों की जानें गईं। हादसे का कारण 48 घंटे बाद तक पता नहीं चला है। बाजपे एयरपोर्ट सुंदर पहाड़ी पर है। हवाई पट्टी जहां खत्म होती है, उसके बाद खाई व जंगल है, जिसमें शनिवार सुबह दुबई से आया वह बदकिस्मत विमान जा गिरा।


जान-माल का बड़ा नुकसान इस रूह कंपाने वाली दुर्घटना में हुआ है पर उससे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न यह दुर्घटना छोड़ गई है कि क्या हमारे देश की विमान सेवाएं ऐसे ही चलती रहेंगी? हवाई दुघर्टनाएं पूरे विश्व में होती रहती हैं। पिछले दिनों पोलैंड के राष्ट्रपति का दुखद निधन ऐसी ही दुर्घटना में हुआ था। अक्सर ऐसी दुर्घटनाओं में तकनीकी चूक या मानवीय भूल ही मुख्य कारण माने जाते हैं। मंगलौर दुर्घटना में क्या कारण बाहर आएगा, यह तो समय बताएगा, परंतु ऐसी दुर्घटना फिर भविष्य में न हो, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमानन विशेषज्ञों को एकत्रित होकर कुछ-न-कुछ निर्णय और उपाय सोचने तथा लागू करने होंगे। 

एयर इंडिया भारत का अंतरराष्ट्रीय आकाश में प्रतिनिधित्व करता है। पिछले कई वर्षो से इस सरकारी एयर लाइंस को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कंपनी का घाटा हर वर्ष बढ़ रहा है, जो करीब एक हजार करोड़ के लगभग हो चुका है। स्टाफ की कमी, अच्छे पायलटों की कमी, नए हवाई जहाज खरीदने के लिए पैसे की तंगी जैसे हालात से जूझ रहे एयर इंडिया के लिए मंगलौर दुर्घटना ने एक और बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। ऐसा नहीं है कि निजी विमान सेवाओं के विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं होते हैं या भारत के अलावा अन्य देशों में ऐसी दुर्घटनाओं में जान-माल का नुकसान नहीं होता, फिर भी एयर इंडिया के उस विमान का रन-वे से आगे निकल जाना और खाई में गिर जाना निश्चित रूप से आसाधारण और अविश्वसनीय घटना है। 



प्रफुल्ल पटेल साल भर पहले दूसरी बार विमानन मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री बने हैं। उनके कार्यकाल में इस विभाग में कोई खास अच्छे बदलाव या प्रगति होती देश ने नहीं देखी है। भारत में पायलटों का संकट बरकरार है, इसीलिए विदेशी पायलटों के सहारे एयर इंडिया और अन्य निजी विमान सेवाएं आज चल रही हैं, जो चिंता का विषय है। इस दुर्घटना की जांच के बाद पुन: ऐसी दुर्घटना न हो, इस हेतु कड़े से कड़े उपाय होना लाजिमी हैं, जिससे यात्रियों के जान-माल की सुरक्षा का समुचित प्रबंध हो।