भूसे से बनी बिजली से गांव रौशन


बिहार | पश्चिमी चंपारण के बगहा का एक गांव इन दिनों भूसे से बनाई गई बिजली से रौशन रहता है। इस ईजाद ने गांव वालों के रहने सहने का ढंग ही बदल डाला है। दियारा इलाक़ा आमतौर पर ऐसे इलाक़े के तौर पर जाना जाता है जहां विकास शब्द सुना तो गया हो मगर उसकी रौशनी नहीं पहुंची हो। मगर दियारा के एक गांव को आजकल भूसे से बनी बिजली मिल रही है जो हैरतअंगेज़ होने के साथ-साथ ख़ुशनुमा भी है। 
धान से चावल निकालने के बाद आम तौर पर जिस भूसी को जानवर का चारा और बेकार की चीज़ समझा जाता है उसी भूसी से बगहा ज़िले के धनहा गांव में बिजली पैदा की जा रही है। और ये डीज़ल की तुलना में काफ़ी सस्ती भी पड़ रही है।


ये ऐसे हो रहा है कि भूसी की गर्मी से पानी भाप बनता है और तीन फिल्टरों से होकर गुज़ारा जाता है जिसके जोर पर मशीन का टरबाइन चलता है और बिजली पैदा होती है। इस तरह से पैदा होने वाली बिजली से गांव आराम से रोज़ाना सात-आठ घंटे रौशन रहता है। अगर दूसरे गांव में भी इस तकनीक का प्रयोग किया जा सके तो ऐसे कई गांवो में चमत्कार हो जाएगा जहां बिजली के नाम पर बस खम्भे गड़े हैं और तार खिंचा है।