होंसलों की जीत


आज प्रमुख रूप से कई न्यूज़ पपेरो में देखा तो वाकई में लगा की अगर अपने ऊपर पूरी ईमानदारी से विस्वास किया जाये तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है और इस का परिणाम है की एक १३ साल के छोटे से बच्चे ने उस शिखर पर्वत छोटी को भी फ़तेह कर लिया जिस के बारे में सोच कर ही बड़े बड़े सुरमाओ के इरादे पानी भरने लगते है .

जी हा, अमेरिका के एक नोनिहाल ने यह कारनामा कर दिखाया है और शनिवार सुबह एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच कर यह उत्साही पर्वतारोही जॉर्डन रोमेरो दुनिया के सातों महाद्वीपों पर मौजूद सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने की अपनी मुहिम में एक कदम और आगे बढ़ गया। 

समुद्र तल से 8850 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच कर जॉर्डन ने अपनी मां को फोन कर के कहा कि मैं दुनिया की सबसे ऊंची जगह से बोल रहा हूं। 



जॉर्डन इससे पहले नौ वर्ष की उम्र में अफ्रीका के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट किलीमंजारो को भी फतह कर चुका है। इससे पहले जॉर्डन ने अपने ब्लॉग पर लिखा था कि मेरा हर कदम मेरे जीवन के मकसद की और होता है, मैं दुनिया की सबसे ऊंची जगह पर खड़ा होना चाहता हूं।

इससे पहले नेपाल के तेंबा ट्शेरी ने 16 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतह कर विश्व में सबस कम उम्र में यह कारनामा करने का रिकार्ड बनाया था।


इसीलिए कहते है की.................. डर के आगे जीत है