त्योहारों पर, विशेष अवसरों पर या किसी उत्सव में घर के द्वार पर रंगोली सजाने की परंपरा है। कई महाराष्ट्रीयन परिवारों में रोजाना रंगोली सजाना नियम में शुमार है। कहते हैं यह घर में देवताओं और खासतौर पर लक्ष्मी के स्वागत में सजाई जाती है। एक सवाल हमेशा मन में कौंधता है कि क्या लक्ष्मी या देवता आदि हमेशा ही दरवाजे से ही प्रवेश करते हैं, वे तो सर्वशक्तिमान होते हैं सो उन्हें आम लोगों की तरह दरवाजे से आने की क्या आवश्यकता है।दरअसल यह प्रतीकात्मक है। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक तथ्य और दार्शनिक जवाब छिपे हैं। हम दरवाजे पर रंगोली इसलिए सजाते हैं ताकि उससे केवल सकारात्मक ऊर्जा ही हमारे घर के भीतर प्रवेश करे। रंगोली के रंग और उसकी डिजाइन हमारे मनोभावों पर सकारात्मक असर डालती है, इससे हमें क्लेश और चिंता से उबरने और दूर रहने में सहायता मिलती है। ठीक ऐसा ही असर हमारे घर में आने वाले मेहमानों पर भी पड़ता है। जब भी कोई हमारे घर में आता है तो अलग-अलग मन:स्थिति में आता है। उसके मनोभाव अगर तीव्र हैं तो वह परोक्ष रूप से हमारे घर के वातावरण पर भी प्रभाव डालते हैं। रंगोली के रंग और आकृति ऐसे मनोभावों को बदलने में सहायता करती है। इसलिए घर के बाहर रंगोली सजाई जाती है।