आधुनिक युग में बच्चों को अच्छे संस्कार देना कठिन होता जा रहा है। घरों में हावी होता आधुनिकवाद हमारी नैतिक शिक्षा से अलग जा रहा है। बच्चे अनियमित दिनचर्या, असंयमित व्यवहार कर रहे हैं। माता-पिता को सम्मान, बड़ों का कहना मानना या छोटों को प्यार करना लगभग हमारे परिवारों से दूर जा रहा है। कई दम्पति बच्चों को ऊंची शिक्षा तो दिलवा रहे हैं लेकिन बच्चों के व्यवहार से खुद ही दु:खी भी हैं।
संस्कारों की कमी, बड़ों का कहना न मानना, उम्र के मुताबिक व्यवहार न होना बच्चों में आम समस्या है। इस समस्या का अध्यात्मिक समाधान भी हमारे शास्त्रों में दिया गया है। कुछ छोटे-छोटे उपाय हैं जो आपके बच्चों को संस्कारवान बनाने में मदद करेंगे। अगर बच्चे संस्कार भूल रहे हैं, असभ्य हो रहे हैं या फिर आपके कहने में नहीं है तो यह उपाय किया जा सकता है:--
सूर्योदय से पूर्व जागकर नित्यकर्मों से निवृत्त होने के पश्चात, पूर्व दिशा की और मुख करके बैठें।- साधना के लिये लिये श्वेत कम्बल का आसन बिछाएं, तथा स्वयं भी स्वेत वस्त्र पहनें।-
भगवान भुवन भास्कर का मानसिक ध्यान करते हुए श्वेत पुस्प अर्पित करें।- पंचोपचार एवं धूप ध्यान के पश्चात १०८ बार निम्र मंत्र का जप करें
भास्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमही, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात।-
मंत्र जप के पश्चात उगते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाएं एवं संतान की सद्बुद्धि के लिये प्रार्थना करें।