तो क्या यहीं?



तलब होती है बावली, क्योंकि रहती है उतावली।

बौड़म जी ने सिगरेट ख़रीदी एक जनरल स्टोर से,

और फ़ौरन लगा ली मुँह के छोर से।

ख़ुशी में गुनगुनाने लगे, और वहीं सुलगाने लगे।

दुकानदार ने टोका, सिगरेट जलाने से रोका-

श्रीमान जी!मेहरबानी कीजिए, पीनी है तो बाहर पीजिए।

बौड़म जी बोले-कमाल है, ये तो बड़ा गोलमाल है।

पीने नहीं देते तो बेचते क्यों हैं?

दुकानदार बोला- इसका जवाब यों है

कि बेचते तो हम लोटा भी हैं,

और बेचते जमालगोटा भी हैं,

अगर इन्हें ख़रीदकर आप हमें निहाल करेंगे,

तो क्या यहीं उनका इस्तेमाल करेंगे?

 
---  अशोक चक्रधर