तुम भी जल थे, हम भी जल थे
इतने घुले-मिले थे, कि एक दूसरे से
जलते न थे।
न तुम खल थे, न हम खल थे
इतने खुले-खुले थे, कि एक दूसरे को
खलते न थे।
अचानक हम तुम्हें खलने लगे, तो तुम हमसे जलने लगे।
तुम जल से भाप हो गए और 'तुम' से 'आप' हो गए।
--- अशोक चक्रधर