गलतफहमियां हटाये : ज्ञान बढाये


सेक्स को लेकर लोगों के बीच तमाम तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं। सच तो यह है कि इसके बारे में लोग जितना सच नहीं जानते, उससे ज्यादा भ्रम के शिकार हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ गलतफहमियों के बारे में :  


भले ही दुनिया ने कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ली हो, लेकिन बात जब सेक्स की आती है, तो अधिकतर लोगों की सोच बिल्कुल भी क्लियर नहीं होती। सेक्स को लेकर इतने भ्रम लोगों के अंदर हैं कि बड़े से बड़ा सायकायट्रिस्ट भी लोगों को समझा नहीं सकता। सच तो यह है कि सेक्स को लेकर प्रचलित मिथ में से आधी ही बातें फैक्ट्स पर बेस्ड हैं और बाकी बिल्कुल बकवास हैं। दिक्कत यह है कि सही जानकारी नहीं होने की वजह से तमाम लोग इन बातों पर विश्वास करके चिंतित हो जाते हैं, जिसका असर उनकी रिलेशनशिप पर भी पड़ता है। अगर आप भी सेक्स को लेकर किसी मिथ के शिकार हैं, तो फिर सुनी-सुनाई बातों को भूल जाइए। यहां हम आपको सेक्स से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

बेड पर किसी और के बारे में सोचना ठीक नहीं है 
  • किसी भी रिलेशनशिप में एंट्री से पहले आपको यह चीज क्लियर हो जानी चाहिए और वह यह कि सेक्सुअल रिलेशनशिप में फिजिकल से ज्यादा मेंटल रिलेशन महत्वपूर्ण होते हैं। वह दिमाग ही है, जो आपको आपके पार्टनर या किसी और से जोड़ता है। सबसे बड़ी चीज आपका अपने पार्टनर को लेकर कमिटमेंट है। फिर चाहे आप बेड पर उसकी जगह बिपाशा बसु के बारे में सोचें या फिर बेड पिट के बारे में। 
इजेक्यूलेशन से पहले बाहर हो जाना सेफ है 
  • अक्सर लोग ऐसा ही सोचते हैं, लेकिन ऐसा सोचने वालों के लिए बुरी खबर है कि इस तरह आपकी पार्टनर बिल्कुल भी सेफ नहीं है। दरअसल, पुरुष को अक्सर इस बात का पता नहीं चलता कि लिक्विड कब पास हो गया है। इस लिक्विड में स्पर्म भी होते हैं, जो कि आपके पार्टनर को प्रेग्नंट करने के लिए काफी हैं। 
पुरुष हर 7वें सेकंड में सेक्स के बारे में सोचते हैं 
  • सोचने वाली बात यह है कि ये फिगर आखिर आए कहां से हैं? यूएस में की गई एक रिसर्च के मुताबिक 14 फीसदी पुरुष दिन में कई बार सेक्स के बारे में सोचते हैं, 43 फीसदी पुरुष हफ्ते में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं, जबकि 4 फीसदी पुरुष महीने में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं। वहीं, 19 फीसदी महिलाएं रोजाना सेक्स के बारे में सोचती हैं, 67 फीसदी महिलाएं हफ्ते में एक बार सेक्स के बारे में सोचती हैं और 14 फीसदी महीने में एक बार सेक्स के बारे में सोचती हैं। यानी कि सेक्स के बारे में दोनों सेक्स लगभग बराबर ही सोचते हैं। 
ओरल सेक्स सेफ है 
  • ओरल सेक्स को भी कंप्लीट सेक्स माना जाता है। इसलिए अगर आप सिर्फ ओरल सेक्स करते हैं, तो सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी) से बच नहीं सकते। दरअसल, ओरल सेक्स के दौरान फ्लूड एक्सचेंज होता है। ऐसे में अगर आपके मुंह में कोई कट वगैरह है, तो आपको एसटीडी हो सकती है। 
पुरुष हमेशा सेक्स के लिए तैयार रहते हैं 
  • पुरुषों के बारे में हमेशा से यह माना जाता है कि वे सेक्स के मामले में कभी थकते नहीं हैं। जबकि सच्चाई यह है कि पुरुष कोई रोबॉट नहीं हैं। उन्हें न सिर्फ थकावट होती हैं, बल्कि अक्सर सेक्स में रुचि नहीं जगती। इसके अलावा, उनमें भी इमोशंस होते हैं, जिस वजह से वे कई बार गुस्सा होकर संबंध बनाने से इनकार कर सकते हैं। इसलिए अगर आपका पार्टनर आपको रिस्पॉन्स नहीं दे रहा है, तो इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वह आपमें रुचि नहीं ले रहा, बल्कि इसकी वजह उसका मूड नहीं होना भी हो सकती है।
साइज मैटर करता है 
  • पेनिस के साइज को लेकर इतना चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में टेंशन लेने की बजाय आपको सेक्स के बारे में अच्छी किताबें पढ़कर अपने पार्टनर को संतुष्ट करने की ट्रिक सीखनी चाहिए। अगर आपको अपने पार्टनर को खुश करने की टेक्नीक आ जाएगी, तो उसे छोटे या बड़े का अहसास ही नहीं होगा। इसलिए सब कुछ भूलकर सिर्फ प्यार पर ध्यान दीजिए। इस मामले में साइज मायने नहीं रखता। 
सब फेल होने पर वायग्रा का सहारा 
  • अगर आप खुद को वायग्रा का आदी बना रहे हैं, तो इससे भविष्य में काफी नुकसान हो सकते हैं। अगर आप वायग्रा को किसी स्पेशलिस्ट से कंसल्ट किए बिना इस्तेमाल कर रहे हैं, फिर तो आपका प्रॉब्लम में आना निश्चित है। इससे आपको हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए बेहतर यही होगा कि बेहतर परफॉर्मेंस की चाहत में वायग्रा लेने से बचें। अगर सब कुछ चूक जाए, तभी वायग्रा के बारे में सोचें। 
एक उम्र के बाद सेक्स महत्वपूर्ण नहीं रहता 
  • इस तरह की सोच रखना बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर आप सेक्स कर सकते हैं या फिर आपको ऐसा लगता है, तो आपको ऐसा जरूर करना चाहिए। यकीन मानिए, इससे आपको नुकसान नहीं होगा। साथ ही, सेक्स करने से आपकी लाइफ के कुछ साल जरूर बढ़ जाएंगे। उम्र बढ़ने के साथ-साथ सेक्स की फीलिंग कम होना एक सामान्य-सी बात है, लेकिन इसके पीछे हॉमोर्नल इश्यूज, डिप्रेशन, कम्यूनिकेशन प्रॉब्लम और टेंशन जैसी तमाम प्रॉब्लम हो सकती हैं। 
ज्यादातर पुरुष फोरप्ले में रुचि नहीं रखते 
  • ज्यादातर महिलाओं की सोच होती है कि बेड पर पुरुष सीधे सेक्स करने में विश्वास रखते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। आजकल के पुरुष अपनी जरूरतों के साथ-साथ अपने पार्टनर की जरूरतों का ख्याल रखना भी सीख गए हैं। इससे न सिर्फ उन्हें परफॉर्मेंस की टेंशन से मुक्ति मिली है, बल्कि वे पार्टनर के ज्यादा करीब भी आए हैं