सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा रहस्य !

वाशिंगटन.करीब आधी सदी तक छानबीन करने के बाद एक वैज्ञानिक को यकीन हो गया है कि यूएफओ न केवल असल में होते हैं बल्कि अमरीकी सरकारें इनके बारे में सन 1947 से जानती आई हैं। यह वैज्ञानिक एक न्यूक्लीयर फिजीस्ट और रॉकेट साइंटिस्ट हैं। स्टैंटन फ्रीडमैन ने एओएल न्यूज से एक इंटरव्यू में कहा, कुछ यूएफओ या उड़नतश्तरियां दूसरे ग्रहों के अंतरिक्ष यान हैं। उन्होंने कहा कि उनके अस्तित्व को छिपाए रखना सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा रहस्य है।



फ्रीडमैन न्यूक्लीयर फिजीस्ट के रूप में 14 साल जनरल इलैक्ट्रिक, जनरल मोटर्स, वैस्टिंगहाउस और एयरोजाट न्यूक्लियोनिक्स जैसी कंपनियों में काम कर चुके हैं। वह न्यूक्लीयर एयरक्राफ्ट, फिशन और फ्यूजन जैसे अत्यंत गोपनीय प्रोग्रामों पर काम कर चुके हैं। वह 1958 में यूएफओ की तरफ आकर्षित हुए और तब से इस विषय पर अमरीका के 50 राज्यों के 700 कालेजों और प्रोफैशनल ग्रुपों में और दुनिया भर में कई जगह इस विषय पर व्याख्यान दे चुके हैं। उन्होंने कहा, 53 साल की जांच के बाद मुझे यकीन हो गया है कि हमारे सामने एक बहुत बड़ा अंतरिक्षीय वाटरगेट स्कैंडल मुंह बाए खड़ा है।

इसका मतलब है कि 1947 से मुख्य सरकारों में कुछ लोगों को पता था कि कुछ यूएफओ दूसरे ग्रहों के अंतरिक्षयान हैं। फ्रीडमैन ने अपनी नई पुस्तक ‘साइंस वाज रॉंग’ में लिखा है, सरकारों में कुछ खास लोगों और समूहों की तरफ से इस संबंध में बड़ी मजबूती के साथ नकारात्मक घोषणाएं की गई हैं। ये लोग उन सबूतों की जांच तक कराने को राजी नहीं हुए जिनसे इस विचार को बल मिलता कि कुछ यूएफओ दूसरे ग्रहों से आई उड़नतश्तरियां थीं। 

जबकि अभी तक कुछ वैज्ञानिक दबे हुए लहजे में कह चुके हैं कि पृथ्वी पर दूसरे ग्रहों के प्राणी आते रहे हैं, वहीं फ्रीडमैन इन सबसे मुखर हैं। वह उन वैज्ञानिकों के सवैये से सख्त नाराज हैं जो दूसरे ग्रहों के प्राणियों की खोज के लिए रेडयो तरंगों और दूरबीनों का इस्तेमाल करते हैं। इनमें कैलिफोर्निया स्थित ‘सेटी’ इंस्टीच्यूट शामिल है। उन्होंने कहा, ये लोग हमेशा यही कहते हैं कि यूएफओ का कोई सबूत नहीं है। लेकिन वे गलत हैं क्योंकि वे किसी भी मामले की जांच नहीं करते हैं।